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कविता

चिंता

जसबीर चावला


क्यों चिंतित हैं
आप ही हरदम
सुनता हूँ जब भी
बढ़ जाती
और भी चिंता
इन्हें भी
कोई चिंता नहीं

 


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हिंदी समय में जसबीर चावला की रचनाएँ